काल सर्प योग कब तक रहता है | Kaal Sarp Yog Kab Tak Rahta Hai
हिंदू धर्म में काल सर्प योग को बहुत ही गंभीरता से देखा जाता हैं। कारण यदि किसी मनुष्य पर काल सर्प दोष हैं तो उसका पूरा जीवन उथल पूथल से भरा रहता है। कई मामलों में तो मनुष्य की आजीविका तक रूक जाती हैं। काल सर्प दोष पितृ दोष के समान ही गंभीर और पीड़ा दायक होता है। दोस्तों यदि आप काल सर्प योग कब तक रहता है | Kaal Sarp Yog Kab Tak Rahta Hai के बारे में अधिक जानकारी नहीं रखते तो आज का हमारा यह पोस्ट आपके लिए बेहद ही मददगार साबित होने वाला है। पोस्ट में हम आपको काल सर्प योग, दोष और इसके प्रकार के बारे में संक्षिप्त रूप से जानकारी देने वाले हैं। आशा करते हैं आप पोस्ट को शुरू से लेकर अंत तक जरूर पढ़ेंगे।

काल सर्प योग कब तक रहता है | Kaal Sarp Yog Kab Tak Rahta Hai
काल सर्प दोष बहुत ही अशुभ दोष माना जाता है। यह कुंडली में राहू तथा केतु के द्वारा निर्मित एक ऐसा दोष है जो मानव के जीवन को बहुत हद तक प्रभावित करता है। राहू तथा केतु की स्थिति इस दोष को अत्यधिक बढ़ा देती है। यदि किसी की कुंडली में यह योग होता है तो उसके जीवन में कई तरह की परेशानियां आ सकती है और उसे पीढ़ी दर पीढ़ी तक संघर्ष और परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। किसी न किसी प्रकार की समस्या उसे घेरे रखती है। यह दोष व्यक्ति को 42 वर्ष तक परेशान करता है, लेकिन चिंता की कोई बात नहीं हैं इसका उपाय सम्भव है, कालसर्प दोष की शांति करवा देते से इसका प्रभाव खत्म हो जाता है।
कैसे बनता है काल सर्प दोष?
हिंदू ज्योतिष शास्त्र में यह उल्लेख मिलता है कि, कुंडली के सातों ग्रह पाप ग्रह राहु-केतु के मध्य आ जाएं तो कालसर्प दोष होता है। राहू और केतु इस दोष के लिए जिम्मेदार होते हैं, पौराणिक मान्यता है कि, राहू केतु सर्प के समान होते है जिसमे राहु को सर्प का मुख और केतु इसकी पूंछ बताया गया है यह व्यक्ति के भाग्य को प्रभावत करते हैं।
कालसर्प के लक्षण
काल सर्प दोष का होना बहुत ही अशुभ माना जाता है, इसके कारण व्यक्ति के जीवन से ख़ुशी का जैसे अंत सा हो जाता है। इसके कई लक्षण होते हैं आइये जानते हैं उनके बारे में।
- तनाव का अत्यधिक रहना।
- नकारात्मक विचार आना।
- आत्महत्या करने की इच्छा।
- पारिवारिक कलह।
- आर्थिक संकट।
- जमा पूंजी का नाश।
- विवाह सम्बन्धित समस्या।
- प्रेम में बाधा।
- रोगों से घिर जाना।
- शत्रुओ का ख़तरा।
कालसर्प योग के प्रकार
- अनन्त कालसर्प योग
- कुलिक कालसर्प योग
- वासुकी कालसर्प योग
- शंखपाल कालसर्प योग
- पद्म कालसर्प योग
- महापद्म कालसर्प योग
- तक्षक कालसर्प योग
- कर्कोटक कालसर्प योग
- शंखचूड़ कालसर्प योग
- घातक कालसर्प योग
- विषधार कालसर्प योग
- शेषनाग कालसर्प योग हैं
कालसर्प दोष उपाय
हिंदू धर्म के ज्योतिष शास्त्र की मानें तो, सर्पों की पूजा करने से इस दोष से बचा जा सकता है, इस दोष के जातक को हर मास की पंचमी तिथि के दिन 8 प्रमुख नागों की पूजा करें। आप अनंत, वासुकि, तक्षक, कर्कोटक, पद्म, महापद्म, शंख और कुलिक की पूजा करना चाहिए। इसके अलावा श्रीमद्भागवत और हरिवंश पुराण का पाठ करना चाहिए, घर में मोर पंख रखना चाहिए।
सर्प दोष से बचने का मंत्रा
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कंबलम्।
शंखपालं धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा।।
एतानि नवं नामानि नागानां च महात्मनान।
सायंकाले पठेन्नित्यं प्रातं काले विशेषत:।।
तस्य विष भयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्।
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