पितृ दोष की पूजा कहां पर होती है? Pitra Dosh Ki Puja Kha Par Hoti Hai

पितृ दोष की पूजा कहां पर होती है? Pitra Dosh Ki Puja Kha Par Hoti Hai

हिंदू धर्म में मौजूद ज्योतिष शास्त्र में मनुष्य की कुंडली में मिलने वाले अनेकों दोषों के बारे में उल्लेख मिलता है। दोष के साथ ही उनके समाधान भी बताए गए हैं। जैसे- मांगलिक दोष, पितृ दोषकालसर्प दोष, नाड़ी दोष इत्यादि। आज के इस पोस्ट में हम पितृ दोष से सम्बन्धित कई प्रश्नों के उत्तर पर चर्चा करेंगे। जैसे पितृ दोष क्यों होता है? पितृ दोष की पूजा कहां पर होती है, पितृ दोष निवारण मंत्र क्या है आदि? आशा करते हैं आप पोस्ट को शुरू से लेकर अंत तक जरूर पढ़ेंगे।

पितृ दोष क्यों होता है?

पितृ दोष किसी भी मनुष्य की कुंडली में हो सकता है, यदि किसी की कुंडली में पितृ दोष है तो उसे इसका प्रभाव निष्क्रिय करवाने के लिए पितृ दोष निवारण पूजा करवाना होती है। दोष को लगने का कारण यह होता है कि पित्रों की श्राद्ध पूजा न करना। इस दोष से पीड़ित यानी की घिरा हुआ व्यक्ति को जीवन में विभिन्न प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है जैसे- मानसिक, शारीरिक रोग, विवाह सम्बन्धित समस्या।

पितृ दोष की पूजा कहां पर होती है? Pitra Dosh Ki Puja Kha Par Hoti Hai

पितृ दोष को जड़ से समाप्त करने के लिए कई उपाय बताए जाते हैं जिसमे मुख्य हैं पूजन। यदि किसी को पितृ दोष है तो इसका अर्थ है कि उसके पूर्वज उससे नाराज़ है और इस दोष को दूर करने के लिए उसे पितृ दोष निवारण पूजा करवाना होता है। यह पूजा किसी पवित्र नदी के तट, पीपल के पेड़ के निचे की जाती है। खास कर लोग त्र्यंबकेश्वर और उज्जैन में इस पूजा को सम्पन्न करते हैं।

पितृ दोष निवारन मंत्र

“ओम श्रीम् सर्व पितृ दोषो निवारनाय कालेशं हं सुख शांतिं देहि चरण स्वाहा” इस मन्त्र का जाप १६ बार करना होता है।

इस मन्त्र के जाप के अलावा दान करने, बड़ो का आदर करने, समय से पितरो का श्राद करने से इस दोष के प्रभाव कम हो जाता है।

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