By - Kamlesh Verma
होके मायूस न यूं शाम से ढलते रहिये, जिन्दगी भोर है सूरज सा निकलते रहिये।
चलिए जिंदगी का जश्न, कुछ इस तरह मनाते है, कुछ अच्छा याद रखते है, कुछ बुरा भूल जाते है।